रायबरेली। देश की सबसे हॉट सीटों में से एक रायबरेली कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा रहा है कि दोनों पार्टियों के दिग्गज लगातार यहां डेरा डाले हुए हैं। बीजेपी के सीनियर नेता और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी दो दिन पहले यहां जनसभा की थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि अगर एक सीट जीतकर 400 पार का मतलब पूरा हो जाए तो वह करना चाहिए या नहीं”। इस इस पर जनसभा में मौजूद भीड़ ने भी जबर्दस्त प्रतिक्रिया दी थी। शाह ने आगे कहा, रायबरेली में कमल खिला दो 400 पार अपने आप ही हो जाएगा।
बढीं राहुल की मुश्किलें
कांग्रेस ने इस सीट से राहुल गांधी को मैदान में उतारा है। पूरी पार्टी अपने इस गढ़ को बचाने में जुट गई है। मिशन 400 के लिए अमित शाह सिर्फ भाषण तक ही सीमित नहीं रहे। वह जिले के 11 फीसदी ब्राह्मणों का समर्थन हासिल करने के लिए वह सपा सांसद मनोज पांडे के घर भी पहुंच गये। बता दें कि सपा विधायक मनोज पांडेय जिले में ब्राह्मण समुदाय का बड़ा चेहरा माने जाते हैं। शाह के इस एक्शन से राहुल गांधी की मुश्किल बढ़ती हुई नजर आ रही हैं।
वह बात और है कि जब बीजेपी प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह ने नामांकन किया, उस वक्त उनके साथ सदर से बीजेपी सांसद अदिति सिंह, पूर्व एमएलसी राकेश प्रताप सिंह, सरेनी के पूर्व सांसद धीरेंद्र बहादुर सिंह और बहरावां के पूर्व सांसद राजाराम त्यागी उनके साथ नहीं नजर आये। इस कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कहा, जब भाजपा के लोग ही दिनेश के साथ नहीं है तो लड़ाई ही कहां है? लेकिन शाह ने सभी को अपने मंच पर एक साथ लाकर कांग्रेस का मुंह बंद कर दिया।
आसान नहीं है राहुल और दिनेश की राह
उत्तर प्रदेश की राजनीति में जाति की भूमिका का अध्ययन करने वाले विश्लेषक डॉ. सुनील पांडे कहते हैं कि नामांकन के बाद से ही प्रियंका रायबरेली में डेरा डाले हुए हैं। वहीं बीजेपी के दिग्गजों के इस क्षेत्र में सक्रिय नहीं होने से कांग्रेस यहां बीस थी लेकिन शाह के आने से माहौल एकदम से बदल गया है। अब इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है। शाह की रैली का असर भी जिले में दिखने लगा है। उनकी रैली के दूसरे दिन ही राहुल रायबरेली पहुंच गए और प्रियंका के साथ संयुक्त बैठकें करने लगे। जल्द ही राहुल, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी और डिंपल यादव जिले में संयुक्त रूप से रोड शो करेंगे। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहले से ही यहां डटे हुए हैं। ज़मीनी हालात ऐसे बने हुए हैं कि यहां न तो राहुल का चुनाव एकतरफा है और न ही दिनेश प्रताप सिंह की राह आसान।
गांधी परिवार का गढ़
1952 से अब तक हुए 20 चुनावों में से कांग्रेस ने इस सीट पर 17 बार जीत हासिल की है।
फिरोज गांधी और इंदिरा गांधी सांसद बने ही, वहीं सोनिया गांधी लगातार इस सीट से पांच बार सांसद रहीं।
जिले के तमाम लोगों का कहना है कि वे गांधी परिवार को इसलिए चुनते हैं क्योंकि वे या तो प्रधानमंत्री चुनते या फिर खुद प्रधानमंत्री पद के दावेदार होते हैं।
कांग्रेस के साथ सपा की भी ताकत
समाजवादी पार्टी के एक कार्यकर्ता कहते हैं कि प्रियंका गांधी अपने भाषण में अखिलेश भैया का नाम तक नहीं लेती, लेकिन भैया का संदेश है कि पूरी ईमानदारी से मेहनत करो और सभी को एकजुट करो। उन्होंने कहा, यादव, पासी और मुस्लिम तो एकजुट हैं ही, ब्राह्मण भी एकजुट हैं और ऐसे में जीत इंडिया गठबंधन की ही होगी।
भाजपा की किलेबंदी
बीजेपी ने करीब 34 फीसदी दलितों को साधने के लिए बुद्धि लाल पासी को जिला अध्यक्ष बनाया है।
ऊंची जाति को अपनी तरफ मिलाने के लिए क्षत्रिय समुदाय से दिनेश प्रताप सिंह को लोकसभा का उम्मीदवार बनाया है।
ब्राह्मण समाज से वीरेंद्र तिवारी को लोकसभा प्रमुख और पीयूष मिश्रा को जिला प्रमुख का जिम्मा दिया है।
ओबीसी जातियों को साधने के लिए पूर्व जिला अध्यक्ष रामदेव पाल को लोकसभा का संयोजक नियुक्त किया है।
ऊंचाहार में विधानसभा चुनाव हारने वाले राज्य के मुख्य सचिव अमरपाल मौर्य को राज्यसभा भेज दिया है।
समर के योद्धा
राहुल गांधी
पिछले अमेठी चुनाव में केंद्रीय मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी से हारने के बाद इस बार वह अपनी मां सोनिया गांधी की सीट रायबरली से चुनाव लड़ रहे हैं। इनके पक्ष की सबसे बड़ी बात यह है कि अभी भी क्षेत्र का एक बड़ा तबका ऐसा है जो गांधी परिवार से राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने का सपना देखता है। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि क्या गारंटी है कि चुनाव जीतने के बाद राहुल गांधी रायबरेली नहीं छोड़ेंगे? दरअसल वे केरल के वायनाड से भी चुनाव मैदान में रहे हैं।
दिनेश प्रताप सिंह
बीजेपी से दिनेश प्रताप सिंह इस सीट से चुनाव मैदान में हैं। हालांकि पिछले चुनाव में वह सोनिया गांधी से हार गए थे, लेकिन अपनी जीत का अंतर कम करने में कामयाब रहे थे। स्थानीय स्तर पर सुलभ होने और मंत्री के रूप में लोगों के बीच उपलब्धता रहने से कुछ हद तक चीजें इनके पक्ष में हैं। इस चुनाव के लिए उन्होंने बीते पांच साल मेनहत की है। सत्ताधारी दल का होने से तमाम प्रधानों और बीडीसी सदस्यों का नेटवर्क भी काम आ रहा है।
ठाकुर प्रसाद यादव
बसपा के टिकट से चुनाव मैदान में उतरे ठाकुर प्रसाद यादव सरेनी विधानसभा सीट से दो बार भाग्य आजमा चुके हैं। करीब 23 फीसदी ओबीसी जातियों वाली इस सीट पर सपा प्रत्याशी के चुनाव मैदान में न होने से बसपा ने यादव प्रत्याशी को मैदान में उतारा है।
पिछले तीन चुनावों की स्थिति
2009 – सोनिया गांधी (कांग्रेस) 72.23 प्रतिशत
आर.एस.कुशवाहा (बसपा) 16.40 फीसदी
2014- सोनिया गांधी (कांग्रेस) 63.80 प्रतिशत
अजय अग्रवाल (बीजेपी) 21.05 फीसदी
2019- सोनिया गांधी (कांग्रेस) 55.80 प्रतिशत
दिनेश प्रताप सिंह (भाजपा) 38.36 प्रतिशत
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