आगरा। आगरा में जूता कारोबारियों के ठिकानों पर आयकर विभाग की छापेमारी 80 घंटे बाद खत्म हो गई। इस दौरान टीम को 57 करोड़ का कैश, गोल्ड ज्वैलरी, प्रापर्टी के कागजात और करोड़ों की पर्चियां मिलीं। इनकम टैक्स की जांच में पता चला कि इन पर्चियों के जरिए ही कैश में भुगतान किया जाता है। इसके अलावा टीम को पैसे के हेर फेर के भी साक्ष्य मिले हैं।
दरअसल, शनिवार को आयकर विभाग की टीम ने आगरा में रिटेल स्टोर्स के 14 ठिकानों पर एक साथ रेड डाली। आगरा में प्रमुख दुकानों बीके शूज, मंशू फुटवियर और हरमिलाप ट्रेडर्स के यहां छापेमारी की। इस रेड में इतना कैश बरामद हुआ की नोट गिनते-गिनते मशीनें भी थक गईं। बताया जा रहा है कि इस छापेमारी में इनकम टैक्स की टीम को हरमिलाप ट्रेडर्स के मालिक रामनाथ ढंक यहां से क़रीब 53 से 54 करोड रुपये का कैश बरामद हुआ जबकि बीके शूज और मंशु फुटवियर के यहां से 55 से 60 करोड रुपये का कैश मिला है। इनमें ज़्यादातर गड्डियां 500-500 के नोटों की थीं। इतनी बड़ी मात्रा में कैश देख कर रेड डालने गई इनकम टैक्स की टीम भी हैरान रह गई। टीम ने बरामद कैश को दो वैन में भरकर बैंक पहुंचाया।
आगरा में आयकर विभाग की ये अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है। रेड के दौरान टीम को यहां से अरबों रुपये के वाउचर भी मिले जिनका इस्तेमाल नकद लेनदेन में किये जाने की आशंका जताई गई है। सूत्रों की मानें तो आयकर विभाग को जो पर्चियां मिली हैं वह शहर के खुदरा जूता विक्रेताओं की होंगी। इसके अलावा गोल्ड और रियल स्टेट में इन्वेस्टमेंट के भी साक्ष्य मिले हैं। इनकम टैक्स की इस कार्रवाई के बाद जूता कारोबारी की मुश्किलें बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
पैसों के लेन-देन में इस्तेमाल होने वाली पर्चियों में कई बड़े लोगों के नाम आने की आशंका जताई जा रही है। बताया जा रहा है कि जूता कारोबार का पूरा खेल पर्चियां के जरिए होता था और ज्यादातर भुगतान कैश में पर्चियां के जरिए किया जाता था। इस मामले के सामने आने के बाद अब इसकी गहनता से जांच की जाएगी। माना जा रहा है कि इसमें कई दूसरे नाम भी सामने आ सकते हैं।
आपको बता दें कि आयकर विभाग की टीम ने शनिवार सुबह 11 बजे आगरा के एमडी रोड स्थित बीके शूज और हर्मिलाप ट्रेडर्स समेत 14 ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान टीम ने सभी जगह से इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, लैपटॉप और सेल फोन जब्त कर लिया है, जिनका डेटा भी ट्रांसफर कर लिया गया है। रेड डालने वाली टीम में सौ से अधिक आयकर विभाग के अधिकारी शामिल रहे।
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