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बस्ती लोकसभा सीट: मुद्दे नहीं, बिरादरी है अहम, किसे सिर आंखों पर बैठाएगी जनता, बड़ा सवाल

Basti Lok Sabha seat

बस्ती। प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या का बस्ती से सीधा नाता है। दरअसल, बस्ती गुरु वशिष्ठ की धरती है और भगवान राम ने यही पर कुछ समय रहकर गुरु वशिष्ठ से दीक्षा ली थी, लेकिन, दोनों नगरी की सियासत में जमीन आसमान का अंतर है। अयोध्या में वोटों के ध्रुवीकरण से नतीजे बदल जाते हैं। वहीं बस्ती में जीत उसे ही मिलती है जो जातीय समीकरण का ताना-बाना बुनने में माहिर होता है।

यहां मुद्दों की बात न तो सियासी दल के लोग करते हैं और न ही वोटर। यहां मतदान जाति बिरादरी देखकर किया जाता है। यही वजह है कि सभी दल जातीय समीकरण साधने में जुटे हैं। आइये जानते हैं ब्राह्मण और कुर्मी बिरादरी की बहुलता वाली इस सीट पर सियासत का परिदृश्य कैसा है। बीजेपी सांसद हरीश द्विवेदी हैट्रिक लगाने की कोशिश में हैं तो पूर्व मंत्री राम प्रसाद चौधरी सपा से चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले चुनाव में वह बसपा के टिकट से चुनाव मैदान में थे। इस बार बीजेपी का फोकस ऊंची जाति के वोटरों के अलावा पिछड़े वर्ग पर भी है। .

बीजेपी ने क्षत्रिय दलों को साधने के लिए समाजवादी पार्टी से प्रत्याशी रहे पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह को अपने पाले में कर लिया है। यहां क्षत्रिय मतदाताओं की संख्या सवा लाख के आसपास है। उधर, बसपा से लवकुश पटेल के चुनाव मैदान में आने से भी गठबंधन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। लवकुश का भी पूरा फोकस बिरादरी के मतदाताओं को अपनी तरफ करने का है। ऐसे में इस बार यहां ब्राह्मण, क्षत्रिय और कुर्मी वोटर निर्णायक भूमिका में होंगे। स्थानीय लोगों का कहना है कि, इस बार जातिगत तौर पर खेमेबंदी बहुत तेज है।

ग्रामीणों के बीच बात की खूब चर्चा हो रही है, जिसको जानिए-उसको तानिए। इस सीट पर सीधी लड़ाई भाजपा और सपा के बीच है। बसपा के प्रत्याशी लवकुश पटेल युवा हैं। वे कुर्मी बिरादरी में कितनी सेंध लगा पाएंगे ये कहना मुश्किल है। हालांकि इस क्षेत्र में सड़क और चीनी मिलें दो अहम मुद्दे हैं। दरअसल बस्ती सदर और वाल्टरगंज चीनी मिल बंद पड़ी हैं। ऐसे में किसानों ने गन्ने की खेती भी छोड़ दी है।

बीते चुनावों पर नजर डालें तो बस्ती लोकसभा क्षेत्र से अब तक सपा को एक बार भी जीत नसीब नहीं हुई है। यहां कांग्रेस ने सात बार तो भाजपा ने छह बार जीत हासिल की है। वहीं दो बार बसपा पर भी जनता ने भरोसा जताया है। 2014 में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री राजकिशोर सिंह ने अपने भाई बृजकिशोर सिंह को सपा से चुनाव लड़ाया था लेकिन
करीब 33,462 मतों से हार गए थे।

2022 के विधानसभा चुनाव में बस्ती की पांच सीटों में से सपा ने तीन पर जीत दर्ज की थी। एक सीट उसके साथ गठबंधन में रही सुभासपा के खाते में गई थी, लेकिन अब सुभासपा सपा से अलग हो चुकी है। उस प्रदर्शन के बाद अब सपा को लोकसभा में इस सीट को जीतने की उम्मीद जगी है।

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