अयोध्या– लोकसभा चुनाव में फैजाबाद (अयोध्या) सीट की हार भाजपा को बहुत हद तक गहरी चोट दे गई है। उसे एक सामान्य सीट की हार के रूप में नहीं देखा जा रहा है। इसे भाजपा की की बड़ी विफलता के रूप में देखा जा रहा है। हार के और भी कई कारण गिनाए जा रहे हैं, जिसमें स्थानीय मुद्दों पर सांसद लल्लू सिंह की लापरवाही और संविधान संशोधन को लेकर दिया गया उनका बयान प्रमुख हैं।
दरअसल, भाजपा 2024 का चुनाव ही अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को केंद्र में रखकर लड़ रही थी। दलितों को साधने के लिए एयरपोर्ट का नामकरण महर्षि वाल्मीकि के नाम पर किया गया। प्रदेश व केंद्र सरकार ने अयोध्या में तमाम विकास के काम कराए। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा भी चुनाव से ठीक पहले हुई।
इसके बावजूद भाजपा फैजाबाद की ही सीट हार गई। लोग हैरान हैं कि आखिर भाजपा फैजाबाद कैसे हार गई? जानकारी के मुताबित हम आपको बता दे की अयोध्या में भाजपा की स्थिति पिछले करीब तीन साल से कमजोर हो रही थी। 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने अयोध्या जिले की दो विधानसभा सीटें गवां दी थीं। गोसाईंगंज और मिल्कीपुर पर सपा ने कब्जा कर लिया। जबकि 2017 और 2019 में भाजपा को इन सीटों पर जीत मिली थी। विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा राम मंदिर के निर्माण पर केंद्रित हो गई और सपा अंदरखाने अयोध्या लोकसभा सीट को फतह करने की तैयारी में जुटी रही। भाजपा ने उसे गंभीरता से नहीं लिया।
यहां वर्ष 2014 में भाजपा को 48.08 और सपा को 20.43 फीसदी वोट मिले थे। वर्ष 2019 में भाजपा 48.66 फीसदी और सपा 42.66 फीसदी पर पहुंच गई। इस बार भाजपा करीब 4.85 फीसदी वोट की गिरावट के साथ 43.81 फीसदी पर रही तो सपा 5.95 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 48.59 फीसदी पर पहुंच गई।
भाजपा सांसद लल्लू सिंह के इस बयान पर दलितों व पिछड़ों को भड़काया
भाजपा सांसद लल्लू सिंह ने बीच चुनाव में कहा कि सरकार तो 272 सीट पर ही बन जाती है, लेकिन संविधान बदलने या संशोधन करने के लिए दो तिहाई सीटों की जरूरत होती है। लल्लू के इस बयान को इंडिया गठबंधन के नेता ने पूरा फ़ायदा उठाया और अयोध्या ही नहीं पूरे देश में इसे संविधान बदलने की साजिश के तौर पर पेश कर दलित व पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को एक साथ लाने का प्रयास किया। भाजपा राम मंदिर की भावना में इस प्रभाव को नजरंदाज करती रही और हार के तमाम कारणों में यह एक बड़ी वजह बनी ।
इसे भी पढ़े_राजनीतिक विरोधी ने अपनी ही बहू से लगवाए मनगढ़ंत आरोप ?
इसे भी पढ़े_यूपी की हार किसके सर ? यूपी के झटके से उबर नहीं पा रही बीजेपी !
